CG के नक्सलगढ़ में मुंह ढककर प्रचार पर निकल रहे समर्थक
नक्सल इलाकों में नेताओं ने खुद ही अपने कार्यकर्ताओं को प्रचार में सावधानी रखने की हिदायत दे रखी है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के दो मंत्रियों की सीट प्रदेश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाके में उलझ गई है। यहां नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार का एलान किया है। लगातार घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में चुनाव प्रचार का कोई रंग दिखे भी तो कैसे।
नक्सल इलाकों में नेताओं ने खुद ही अपने कार्यकर्ताओं को प्रचार में सावधानी रखने की हिदायत दे रखी है। अबूझमाड़ के इलाके में कार्यकर्ता मुंह में कपड़ा ढांककर प्रचार करने जा रहे हैं। सुबह निकलते हैं और तीन बजे से पहले वापस लौट आते हैं। इन सीटों पर मंत्री रिस्क लेकर प्रचार करने निकल रहे हैं। सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है, रोड ओपनिंग होती है, बख्तरबंद गाड़ियां आगे चलती हैं फिर नेता का काफिला पहुंचता है।
नारायणपुर प्रदेश के शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की सीट है। केदार नारायणपुर के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में घूम रहे हैं। वे छोटे डोंगर समेत ऐसे गांवों तक पहुंच चुके हैं जहां नक्सलियों का दखल है। हालांकि अभी ओरछा नहीं पहुंचे हैं। भाजपा के ज्यादातर पदाधिकारी अबूझमाड़ के इलाके के हैं। अबूझमाड़ वह जगह है जहां के 22 में से 18 बूथों को बाहर शिफ्ट करने का अनुरोध प्रशासन कर रहा है।
यहां चुनाव कराने के लिए कर्मचारियों को दो-दो दिन पैदल चलकर जंगल में जाना पड़ता है। वोटर भी 30-40 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान केंद्र तक पहुंचते हैं। नारायणपुर में 67 मतदान केंद्र नक्सल संवेदनशील हैं। अबूझमाड़ के सोनपुर में हाल ही में फोर्स ने कैंप डाला है, इसके बाद भाजपा के कार्यकर्ता यहां बाजार के दिन जाने लगे हैं। वे जाते हैं लेकिन मुंह ढांककर जाना पड़ता है। कांग्रेस ने अबूझअबूझमाड़ को छोड़ ही दिया है। उसका जोर बाहरी इलाके के गांवों में है। अबूझमाड़ में 18-20 प्रतिशत पोलिंग होती है। इसके लिए कौन रिस्क ले।
भाजपा नेता की हत्या का असर
बीजापुर के भोपालपटनम में चुनाव शुरू होने से पहले ही नक्सलियों ने भाजपा नेता जगदीश कोंड्रा की हत्या कर दी थी। चुनाव शुरू हुआ तो नक्सलियों ने फरमान जारी किया कि भाजपा नेता आएं तो काट डालो, दूसरे आएं तो जनअदालत में लाओ। इन धमकियों का असर बीजापुर जिले में साफ दिख रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित शहरों, कस्बों में थोड़ा बहुत प्रचार का रंग दिखता जरूर है। गांव में कुछ नहीं है।
बीजापुर से सटे मोदकपाल, मनकेली, पेगड़ापल्ली जैसे गांवों में एक भी बैनर पोस्टर नहीं दिखता। यहां शहरों को छोड़ सभी मतदान केंद्र अति संवेदनशील हैं। वन मंत्री महेश गागड़ा ने कार्यकर्ताओं से कह रखा है-रिस्क न लें। जितना हो उतना ही करें। कांग्रेस भी यहां सतर्क है। गांवों में ज्यादा जोर नहीं दिया जा रहा है।
हाईटेक प्रचार पर निर्भरता
जहां नेता जा नहीं पा रहे हैं वहां हाईटेक प्रचार से काम चलाया जा रहा है। मंत्रियों का मैसेज फोन पर आ रहा है। कॉल भी आ रही है। वोट देने की अपील की जा रही है। डिजिटल रथ घूम रहा है। हाट बाजार में जहां सुरक्षा का इंतजाम होता है वहां प्रचार पर ताकत झोंकी जा रही है। मंत्रियों की सीटों पर नक्सलवाद का काफी असर तो है, फिर भी चुनाव हो रहे हैं और नेता प्रचार कर रहे हैं।

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